अंतरिक्ष में Sunita...... कई तरह की शारीरिक दिक्कतों से होता हैं सामना
ज्यादा दिनों तक अंतरिक्ष में रुकना जानलेवा
वॉशिंगटन। भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अपने साथी बैरी विल्मोर के साथ स्पेस में फंस हुई हैं। शुरुआत में उनका मिशन 8 दिनों में पूरा होना था। लेकिन स्पेस क्राफ्ट में खराबी के कारण उनकी वापसी नहीं हुई है। अंतरिक्ष यात्री जब स्पेस में जाते हैं, तब पृथ्वी से बिल्कुल अलग वातावरण होता है। यहा माइक्रोग्रैविटी, रेडिएशन का खतरा, अंतरिक्ष स्टेशनों के सीमित क्वार्टर मानव स्वास्थ्य के लिए अनूठी चुनौतियां पेश करते हैं। स्पेस स्टेशन पर लंबे समय तक रुकना एक बड़ा जोखिम होता है। अंतरिक्ष यात्रियों की ओर से अंतरिक्ष में अनुभव किए जाने वाले तात्कालिक परिवर्तनों में से एक द्रव पुनर्वितरण है। गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति में शारीरिक तरल पदार्थ शरीर के ऊपरी हिस्से में पहुंचने लगते हैं, इससे चेहरे पर सूजन, नाक बंद होना और पैरों में तरल पदार्थ की कमी होती है। पृथ्वी पर लौटने पर इसका असर दिखाई देता है। अंतरिक्ष यात्रियों को कुछ समय तक खड़े होने पर चक्कर आता है या बेहोशी होती है।
हालांकि सुनीता विलियम्स अलग नहीं हैं, बल्कि स्पेस में जाने वाले हर अंतरिक्ष यात्री के साथ ऐसा होता है। माइक्रोग्रैविटी का मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम पर भी असर पड़ता है। मांसपेशियों के समर्थन की आवश्यक्ता वाले गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण अंतरिक्ष यात्रियों की मांशपेशियां पैरों और पीठ में विशेष तौर पर कमजोर हो जाती है। इससे हड्डियों की महत्वपूर्ण क्षति हो जाती है, विशेष रूप से रीढ़ और श्रोणि जैसी वजन उठाने वाली हड्डियों में। यांत्रिक तनाव की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस के समान हड्डियों के घनत्व में कमी आती है। इन प्रभावों से निपटने के लिए स्पेस स्टेशन पर अंतरिक्ष यात्री व्यायाम करते हैं। लेकिन फिर भी कुछ हद तक हड्डियों को नुकसान हो ही जाता है। द्रव वितरण में परिवर्तन मूत्र प्रणाली को प्रभावित करता है, इससे यूरिन में कैल्शियम के उच्च स्तर के कारण गुर्दे में पथरी का खतरा बढ़ जाता है। हार्मोन के स्तर, इंसुलिन संवेदनशीलता और आंत माइक्रोबायोटा की संरचना में परिवर्तन देखा गया है, जो संभावित रूप से दीर्घकालिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। पृथ्वी की तुलना में अंतरिक्ष यात्री उच्च स्तर के रेडिएशन का सामना करते हैं। इसमें गैलेक्टिक कॉस्मिक किरणें और सौर कण शामिल होते हैं। यह डीएनए क्षति और कैंसर की बढ़ती संभावना को बढ़ते हैं। रेडिएशन के लेवल की स्पेस एजेंसियां सावधानी पूर्वक निगरानी करती हैं। गुरुत्वाकर्षण की कमी संवेदी इनपुट प्रभावित करती है।
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