बीटिंग द रिट्रीट के साथ Republic Day समारोह का हुआ समापन
नई दिल्ली। राजधानी स्थित राष्ट्रपति भवन के ठीक सामने विजय चौक चौराहे पर बुधवार शाम सूर्यास्त के साथ आयोजित की गई बीटिंग द रिट्रीट के साथ 76 वें गणतंत्र दिवस समारोह का औपचारिक रूप से समापन हो गया है। जिसमें तीनों सशस्त्र सेनाओं और केंद्रीय अर्धसैन्यबलों के बैंड्स ने ऐसी अनोखी और शानदार प्रस्तुति दी कि जिसने हर खासोआम को रोमांच से भर दिया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सेना, वायुसेना और नौसेना की शीर्ष कमांडर के रूप में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शामिल हुईं। वहीं, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान और तीनों सशस्त्र सेनाप्रमुखों ने भी समारोह में भाग लिया। बता दें कि इस समारोह की शुरुआत भारत के 1950 में गणतंत्र बनने के बाद हुई थी। यह गणतंत्र दिवस समारोह की औपचारिक समाप्ति का प्रतीक है। जिसे युद्ध खत्म होने के बाद सेनाओं की बैरक वापसी के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। बीटिंग द रिट्रीट की असल शुरुआत 17वीं शताब्दी में इंग्लैंड के राजा किंग जेम्स सेंकड द्वारा अपने सैनिकों को ड्रम बजाने, झंडा नीचे करने और जंग खत्म होने की घोषणा करने के लिए एक परेड आयोजित करने के आदेश के साथ हुई थी।
भारत में दो बार यह समारोह (वर्ष 2009 में पूर्व राष्ट्रपति वेंकटरमन के निधन पर और 2001 में गुजरात में आए भूकंप) रद्द किया जा चुका है। समारोह में सैन्य बैंड ने कुल 30 धुनें बजाई। जो पूरी तरह से भारतीयता के रंग में रंगी हुई थीं। सबसे पहले भारतीय सेना द्वारा राष्ट्रपति को राष्ट्रीय सैल्यूट दिया गया। इसके बाद तिरंगा फहराया गया और राष्ट्रगान की धुन बजाई गई। फिर सामूहिक बैंड ने कदम, कदम बढ़ाए जा की धुन बजाई। उसके बाद पाइप्स और ड्रम्स बैंड द्वारा अमर भारती की धुन के साथ देश का नक्शा बनाया गया, इंद्रधनुष, जय जन्म भूमि, गंगा जमुना और वीर सियाचिन जैसी मनमोहक धुनें भी बजाई गईं। वायुसेना ने गैलेक्सी राइडर की धुन बजाई। समारोह का समापन सारे जहां से अच्छा गीत की धुन के साथ हुआ। इसके बाद राष्ट्रपति भवन, संसद भवन सहित नई दिल्ली स्थित तमाम सरकारी इमारतें जगमगाती रोशनी से प्रकाशमान हो गईं।
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