रावण की शिवभक्ति को साकार किया Ashutosh Rana ने
हमारे राम नाटक का हर डायलॉग है दमदार
मुंबई। अपनी जानदार एक्टिंग और प्रसंग में हल्के ट्विस्ट से रावण की शिवभक्ति को एक्टर आशुतोष राणा ने साकार कर दिया। “मेरे स्वामी के पूजन का अभियान नहीं रुक पाएगा, नारियल के बदले में रावण अपना यह शीश चढ़ाएगा…” रावण के किरदार में जब आशुतोष राणा ‘हमारे राम’ नाटक में ये संवाद बोलते हुए अपना शीश शिवजी को अर्पित कर देते हैं, तो थियेटर में मौजूद दर्शक रोमांचित हो उठते हैं। इसी सीन में उन्होंने अपनी आवाज में संस्कृत की जगह हिंदी में शिव तांडव स्तोत्र भी गाया, जो अलग से भी सोशल प्लेटफॉर्म पर बहुत लोकप्रिय हो रहा है। हिंदी वाले इस स्तोत्र के बोल बहुत प्रभावकारी है –वैसे तो ‘हमारे राम’ नाटक की शुरुआत राम के दरबार से ही हुई, लेकिन जैसा नाटक में कहा गया है कि राम की महानता और मर्यादा को समझना हो, तो इसे रावण के जरिए ही समझा जा सकता है। शास्त्रीय तौर पर भी नायक की शक्तियां तभी दिखती है, जब वो हर प्रकार से बहुत ताकतवर और श्रेष्ठ प्रतिनायक से भिड़ा हो।
इस लिहाज से रावण की भूमिका में आशुतोष राणा को नाटक की प्राण शक्ति कहा जा सकता है। इसी वजह से रावण के संवाद का भी पहले जिक्र करना बनता है।नाटक पहले ही सीन से दर्शकों को अपने प्रभाव में लेने में सफल दिखता है। दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में पहले सीन का पर्दा उठता है, तो सामने मंच पर सजा भव्य राम दरबार दिखता है। राजसूय यज्ञ की सफलता के बाद ऋषि वशिष्ठ बता रहे हैं कि वाल्मीकि जी ने आने की स्वीकृति दे दी है। उनके साथ दो बालक भी आ रहे हैं, जो राम कथा का बहुत ही सुंदर गायन करते हैं। तभी नेपथ्य से रामकथा के गीतों की आवाज आती है। स्पॉट लाइटों में दर्शकों के बीच से ही लव और कुश की एंट्री होती है। दर्शकों का आनंद बहुत बढ़ जाता है। सीता भी ऐसे ही आती हैं।
अगले ही दृश्य में रावण भी दर्शकों के बीच से ही स्टेज पर पहुंचते हैं। फिर तो दर्शकों को लगने लगता है कि वे भी नाटक में शामिल हैं। रावण के किरदार में आशुतोष जैसा फिल्म स्टार उनके बीच से आते ही नहीं, कुछ ऐसे संवाद भी बोलते हैं जो सीधे दर्शकों को संबोधित भी करते हैं। राम के किरदार में राहुल भुच्चर ने भी वन में सीता से बातचीत के दौरान दर्शकों से सीधे पूछ दिया- ‘आप ही बताइए क्या जीत सका है कोई अपनी पत्नी से’… और दर्शकों की तालियां थिएटर में गूंज उठती हैं। रामकथा के आधार पर बनाए गए नाटक ‘हमारे राम’ की बीते रविवार को प्रस्तुति हुई। ये नाटक का 67वां मंचन था। इससे भी इसकी लोकप्रियता का पता चलता है। रामकथा को नाटक का विषय बनाना वास्तव में एक बड़ी चुनौती है। हर एक के मन में इस कहानी को लेकर अपनी एक सोच, अपनी एक धारणा है। उसे खंडित किए बगैर कुछ अलग दिखा या सुना देने पर तुरंत खारिज हो जाने का खतरा होता है, लेकिन ‘हमारे राम’ की टीम ने ये खतरा उठाया और कहा जा सकता है कि उनकी कथा को लोगों ने स्वीकारा है।
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