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दबाब में Yunus बना रहे राखिन कॉरिडोर, सेना ने कहा- हमसे उम्मीद न करें, हम समझौता नहीं करेंगे

दबाब में Yunus बना रहे राखिन कॉरिडोर, सेना ने कहा- हमसे उम्मीद न करें, हम समझौता नहीं करेंगे

ढाका। बांग्लादेश से म्यांमार तक प्रस्तावित राखिन कॉरिडोर का उद्देश्य म्यांमार के राखिन राज्य को मानवीय सहायता पहुंचाना है, जहां 20 लाख से ज़्यादा लोग गृहयुद्ध और भूकंप के कारण अकाल का सामना कर रहे हैं। यूनुस संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका के दबाव में इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ रहे हैं। इस पर बांग्लादेश सेना ने साफ कर दिया कि इससे सबंधित हमसे किसी तरह की अपेक्षा न करें। सेना ने कहा है कि बांग्लादेश आर्मी ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगी जिससे देश की सुरक्षा से समझौता हो। बांग्लादेश सेना का ये बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि बांग्लादेश आर्मी के चीफ जनरल वकार उज जमा ने इस कॉरिडोर को ब्लडी कॉरिडोर कहा था और इस प्रोजेक्ट को खत्म करने को कहा था। ढाका में एक प्रेस वार्ता में लेफ्टिनेंट कर्नल शफीकुल इस्लाम ने म्यांमार के राखिन प्रांत में कथित मानवीय गलियारा शुरू करने की अंतरिम सरकार की पहल से मतभेद का संकेत दिया और कहा कि बांग्लादेश की सेना इस मामले पर कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कहा, सेना कॉरिडोर, राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता से जुड़े मुद्दों पर कोई समझौता नहीं करेगी। 5 अगस्त 2024 के बाद सेना ने देश की खातिर सभी के साथ समन्वय किया है। गौरतलब है कि 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के प्रमुख बने थे और सेना ने देश की सुरक्षा संभाला था। सोमवार को बांग्लादेश आर्मी के मुख्यालय में सोमवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस अहम थी।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में आर्मी के बड़े अफसर कर्नल शफीकुल इस्लाम, ब्रिगेडियर जनरल नाजिम उद दौला शामिल हुए। ब्रिगेडियर जनरल नाजिम उद दौला ने कहा कि देश की स्वतंत्रता, सुरक्षा या संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। ब्रिगेडियर जनरल नाजिम उद दौला से जब पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर सेना और अंतरिम सरकार के बीच मतभेद से जुड़ी खबरों पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि, कभी-कभी, परिवारों में भी गलतफहमियां हो सकती हैं। इसी तरह, देश चलाने के दौरान अलग-अलग पक्षकार अलग-अलग राय व्यक्त कर सकते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई विभाजन या संघर्ष है। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। नाजिम-उद-दौला ने कहा, ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि सरकार और सेना के बीच गंभीर मतभेद हैं। मीडिया में जिस तरह से इसे दिखाया जा रहा है, वह सही नहीं है। हम सौहार्दपूर्ण ढंग से और आपसी समझ के साथ काम कर रहे हैं। गलत व्याख्या की कोई गुंजाइश नहीं है। बांग्लादेश सेना ने मीडिया को ये जरूर संदेश दिया कि सरकार के साथ कोई विवाद नहीं है लेकिन सेना ने म्यांमार कॉरिडोर पर रेड सिग्नल दे दिया है। ये नाजिम-उद-दौला के इस बयान से स्पष्ट होता है। इस मौके पर सेना की राय को स्पष्ट करते हुए नाजिम-उद-दौला ने कहा, यह हमारा देश है। इसका कल्याण और संप्रभुता हम सभी से गहराई से जुड़ी हुई है।

अगर हमें इस देश को सुरक्षित रखना है, तो हमें खुद ही यह करना होगा। और अगर कुछ भी गलत होता है, तो उसके लिए हम भी समान रूप से जिम्मेदार हैं। नाजिम-उद-दौला ने म्यांमार कॉरिडोर पर आगे कहा, निश्चित रूप से हम बॉर्डर पर कोई कॉम्परमाइज नहीं करेंगे, और जब तक भी हमारे अंदर बिंदू मात्र शक्ति भी होगी, हम लोग इस पर कोई समझौता नहीं करेंगे, ये हमारा देश है हम लोग किसी भी कीमत पर इसकी रक्षा करेंगे। हालांकि नाजिम उद दौला ने यह भी अपील की कि इस मुद्दे पर सेना और सरकार को टकराव के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हमें यह नहीं मान लेना चाहिए कि सरकार और सेना संघर्ष में काम कर रही हैं या अलग-अलग सोच रही हैं। ऐसा नहीं है। सरकार और सेना एक साथ काम कर रही हैं, और हमारा दृढ़ विश्वास है कि यह सहयोग भविष्य में भी जारी रहेगा। लेकिन सेना ने साफ कर दिया कि बांग्लादेश की स्वतंत्रता, सुरक्षा और संप्रभुता पर असल डालने वाले किसी काम पर भी सेना की सहमति नहीं होगी। उन्होंने कहा, गलियारों से जुड़े मामले बेहद संवेदनशील हैं। सेना के लिए राष्ट्र का हित सबसे ऊपर है। बांग्लादेश की स्वतंत्रता, सुरक्षा या संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

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