
Radhika Madan.....जब मुझे कहा गया अक्षय कुमार को अभिनय सीखना
मुंबई। पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म सरफिरा में अभिनेत्री राधिका मदान के अभिनय की तारीफ हो रही है। राधिका कहती हैं कि उन्हें तब तक टिकट खिड़की के आंकड़े प्रभावित नहीं करते हैं, जब तक उन्हें कास्ट करने वाले निर्माताओं को इससे फर्क नहीं पड़ता है। सरफिरा फिल्म, अक्षय कुमार के साथ काम करने के अनुभव के बारे में राधिका ने कुछ रोचक जानकारी दी। मेरा पूरा अभिनय का सफर ही देख लीजिए मैं दिल्ली की हूं। कभी अभियन सीखा नहीं है। फिर उठकर यह कह देना कि मुंबई जा रही हूं। फिर यहां आकर कहना कि बड़े-बड़े निर्देशकों के साथ काम करूंगी, इन बातों पर लोग मुझपर हंसते ही थे। मैं अपनी कला और सपनों को लेकर सरफिरी हूं। रानी (फिल्म सिरफिरा का पात्र) की भूमिका जब मेरे पास आई थी, तब मैंने सना फिल्म खत्म की थी। वह डार्क रोल था। मैं खुद उसी डार्क जोन में थी। रानी एक ताजी हवा की तरह मेरी जिंदगी में आई। उसने मुझे याद दिलाया कि मैं कौन हूं, जो मैं इतनी भूमिकाओं को करने में भूल गई थी। मेरे भीतर जो आग और जुनून है, वह इसने याद दिलाया। हर किरदार से आप कुछ लेते हैं, कुछ अपना देते हैं।
उन्होंने बताया कि मुझे पहले पता नहीं था कि अक्षय सर फिल्म का हिस्सा हैं। पहली मुलाकात एक प्रैंक (मजाक) के साथ हुई थी। मुझे निर्माता के घर बुलाया गया था, यह कहकर कि कोई नया अभिनेता होगा, जिसे अभियन नहीं आता है। मुझे कहा गया कि तुम सीखा देना। मैं सोच रही थी कि इतना बड़ा प्रोजेक्ट है, मैं कहां से अभियन सिखाऊंगी, मैं खुद ही सीख रही हूं। जब वहां पहुंची, अक्षय सर मेरे सामने आ गए और खूब हंसे। मैं कुछ बोल ही नहीं पा रही थी। मैं अक्षय सर की कॉमेडी फिल्मों की फैन रही हूं। उनकी सारी कामेडी फिल्में मैंने देखी है। आवारा पागल दीवाने, हेराफेरी... सब । उनकी फिल्मों के डायलॉग रटे हुए हैं। कभी-कभी सीन के बीच में मैं उनके डायलॉग बोल देती थी और वे हंसने लग जाते थे। वे कहते थे कि अच्छा याद है। मैं कहती थी हां। इंटरव्यू के दौरान राधिका ने कहा कि जिम्मेदारी से ज्यादा, जब भी कोई फिल्म बनती है, चाहे वे सपनों के ऊपर हो या पात्र के सफर पर हो, हर फिल्म का कोई न कोई मुद्दा होता है। वरना फिल्म नहीं बनेगी। फिल्म हमेशा कुछ कहना चाहती है। अगर मैं उससे रिलेट करती हूं, तब जरूर करती हूं। ऐसा जरूरी नहीं है कि हमेशा कुछ सकारात्मक या हल्की-फुल्की कॉमेडी में ही फिल्म दिखाई जाए। मैं चाहती हूं कि लोग किसी के सफर, किरदार से जुड़ पाएं। मैं फिल्म को साइन करने से पहले किसी किरदार की जर्नी से ज्यादा प्रभावित होती हूं, बजाय इसके कि इसमें सामाजिक संदेश है या नहीं। फिल्म के मुद्दे में सच्चाई होनी चाहिए।
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!