Film 'Dhurandhar' पर तिलमिलाया पाकिस्तान, निर्देशक पर मामला दर्ज करने की उठी मांग
मुंबई। भारत में बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त चर्चा बटोर रही फिल्म ‘धुरंधर’को लेकर पाकिस्तान में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। फिल्म की कहानी में कराची से जुड़े संदर्भों पर वहां के कुछ राजनीतिक और सामाजिक वर्गों ने कड़ा एतराज जताया है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि कराची की एक अदालत में फिल्म के निर्देशक और इससे जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराने की मांग की गई है। आरोप लगाया गया है कि फिल्म के ट्रेलर और प्रचार सामग्री में पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी को बदनाम करने की कोशिश की गई है और उसे आतंकवाद के प्रति सहानुभूति रखने वाला दिखाया गया है। इससे पहले यह फिल्म कुछ खाड़ी देशों में प्रतिबंधित भी की जा चुकी है। यह याचिका पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के एक कार्यकर्ता मोहम्मद आमिर ने कराची की डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस कोर्ट (साउथ) में दाखिल की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि फिल्म के कंटेंट से न केवल उनकी पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है, बल्कि पूरे पाकिस्तान को गलत तरीके से पेश किया गया है। याचिका में मांग की गई है कि फिल्म के निर्देशक, निर्माता, कलाकारों और अन्य जिम्मेदार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए। आमिर का दावा है कि उन्होंने 10 दिसंबर को कराची के दरख्शान थाना क्षेत्र में स्थित एक कैफे में सोशल मीडिया पर फिल्म का ट्रेलर और प्रमोशनल सामग्री देखी थी। इसके बाद उन्हें मानसिक पीड़ा पहुंची। उनका आरोप है कि फिल्म में कराची के लियारी इलाके को ‘आतंकी युद्ध क्षेत्र’के रूप में दिखाया गया है, जो पूरी तरह भ्रामक और अपमानजनक है। याचिकाकर्ता के अनुसार लियारी को जानबूझकर हिंसा और आतंकवाद से जोड़कर दिखाया गया, जबकि यह इलाके की वास्तविकता को तोड़-मरोड़ कर पेश करने जैसा है।
उनका कहना है कि इससे न सिर्फ लियारी के लोगों की छवि खराब होती है, बल्कि पूरे देश की बदनामी होती है। इसके अलावा याचिका में यह भी दावा किया गया है कि फिल्म में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की तस्वीरों, पीपीपी के झंडे और पार्टी रैलियों के दृश्य बिना किसी अनुमति के इस्तेमाल किए गए हैं। याचिकाकर्ता का आरोप है कि इन दृश्यों के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई कि पीपीपी आतंकवाद के प्रति नरम रुख रखती है, जो कि पूरी तरह झूठा और मनगढ़ंत है। पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों में इसे लेकर गहरी नाराजगी बताई जा रही है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इस पूरे मामले को लेकर दरख्शान थाने के एसएचओ को लिखित शिकायत दी गई थी, लेकिन पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया। इसके बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया गया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की है कि पुलिस को तुरंत मामला दर्ज करने का आदेश दिया जाए और जांच वरिष्ठ अधिकारी की निगरानी में कराई जाए। अब यह मामला कानूनी और राजनीतिक दोनों स्तरों पर चर्चा का विषय बन गया है। यदि किसी भारतीय नागरिक के खिलाफ पाकिस्तान में मामला दर्ज होता है और वह वहां मौजूद नहीं है, तो उसकी गिरफ्तारी संभव नहीं होती। हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नोटिस जारी करने जैसे विकल्प मौजूद रहते हैं, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच प्रत्यर्पण संधि न होने के कारण किसी भारतीय को जबरन सौंपा नहीं जा सकता। अधिकतम स्थिति में उस व्यक्ति पर पाकिस्तान यात्रा को लेकर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। फिलहाल कराची की अदालत के रुख पर सबकी नजरें टिकी हैं, क्योंकि यह मामला भारत-पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक और राजनीतिक संवेदनशीलता से भी जुड़ गया है।
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!