हमारे राम भेद से नहीं भाव से जुड़ते हैं, उन्हें वंश नहीं मूल्य प्रिय हैं- धर्मध्वजा फहराने के बाद PM Modi ने देश को दिया वेलफेयर का संदेश
अयोध्या। पीएम नरेंद्र मोदी ने अयोध्या के भव्य राम मंदिर पर धर्मध्वजा फहराया। इस मौके पर संघ प्रमुखा मोहन भागवत उनके साथ थे। पीएम मोदी ने इस मौके पर मौजूद लोगों को संबोधित भी किया और भगवान राम के मूल्यों और रामराज्य को वेलफेयर से जोड़ा। इस तरह उन्होंने अयोध्या के राम मंदिर से देश को वेलफेयर का संदेश दिया। पीएम मोदी ने रामचरित मानस की पंक्ति दोहराते हुए कहा- नहीं दरिद्र, कोउ दुखी ना दीना। यह संदेश बताता है कि विकसित भारत की संकल्पना में कोई भी दुखी और दरिद्र नहीं रहना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे राम भेद से नहीं भाव से जुड़ते हैं। उन्हें वंश नहीं मूल्य प्रिय हैं। उन्हें शक्ति नहीं संयोग मान लगता है। पिछले 11 सालों में महिला, दलित, पिछड़े, अति पिछड़े, आदिवासी, वंचित, युवा और किसान समेत सभी वर्गों को विकास के केंद्र में रखा गया है। जब देश का हर व्यक्ति और हर क्षेत्र सशक्त होगा तो देश राम राज्य की ओर बढ़ेगा। हमें आने वाले 1000 सालों के लिए भारत की नींव मजबूत करनी है। जो सिर्फ वर्तमान के बारे सोचते हैं, वे आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय करते हैं। उन्होंने कहा कि जब हम नहीं थे, यह देश तब भी था। हम जब नहीं रहेंगे, यह देश तब भी रहेगा। हम एक जीवंत समाज हैं और हमें दूरदर्शिता के साथ काम करना होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए भी हमें प्रभु राम से सीखना होगा।
हमें उनके व्यक्तित्व को समझना होगा और उनके व्यवहार को आत्मसात करना होगा। हमें याद रखना होगा कि राम यानी आदर्श, मर्यादा, धर्म पथ पर चलने वाला व्यक्तित्व। राम यानी जनता के हित को सुरक्षित रखना। राम यानी ज्ञान और विवेक की पराकाष्ठा। राम यानी कोमलता में दृढ़ता। पीएम मोदी ने कहा कि यह धर्मध्वज दूर से ही रामलला की जन्मभूमि के दर्शन कराएगा। युगों-युगों तक प्रभु राम के आदर्शों और प्रेरणाओं को मानव मात्र तक पहुंचाएगा। मैं इस अद्वितीय अवसर की सभी को शुभकामनाएं देता हूं। मैं उन भक्तों को भी प्रणाम करता हूं, जिन्होंने राम मंदिर निर्माण में सहयोग दिया। इसके अलावा सभी श्रम वीरों, योजनाकारों और अन्य लोगों का भी अभिनंदन करता हूं, जिन्होंने मंदिर निर्माण में योगदान दिया। उन्होंने कहा कि यह ध्वजा लहराने के साथ ही सदियों की वेदना विराम पा रही है। भगवान राम अयोध्या से युवराज के रूप में निकले थे और लौटे तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम बनकर। उनके साथ गुरु वशिष्ठ की शिक्षा थी तो माता शबरी का ममत्व भी था। निषादराज का साथ भी था, जो हमें स्मरण कराता है कि साधन से अहम साध्य होता है। अब एक बार फिर से समाज में उसी समरसता के भाव से सभी के विकास के लिए काम होगा।
हम विकसित भारत का ऐसा ही सपना देखते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि लॉर्ड मैकाले ने गुलामी की मानसिकता की नींव रखी थी। 2035 में उस घटना के 200 साल पूरे हो रहे हैं। हमें लक्ष्य लेकर चलना है कि भारत को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे। दुर्भाग्य है कि मैकाले जो सोचा था, उसका प्रभाव कहीं व्यापक हुआ है। हमें आजादी तो मिली, लेकिन हीन भावना से मुक्ति नहीं मिली। एक विकार आ गया कि विदेशों की हर चीज अच्छी है और हमारे यहां की हर चीज में खोट है। इस मानसिकता से हमें मुक्ति पाना है। कहा गया कि हमारा संविधान भी विदेश से प्रेरित है, लेकिन सच यह है कि भारत तो लोकतंत्र की जननी है। पीएम मोदी ने कहा कि यह भी तो गुलामी की ही मानसिकता है कि एक वर्ग ने राम को नकारा है। त्रेता युग अयोध्या ने दुनिया को नीति दी और 21वीं सदी की अयोध्या दुनिया को विकास का मॉडल देगी।
Tags
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!