Kubbra Sait ने साझा किया जिंदगी और अभिनय से जुड़ा अनुभव
मुंबई। बेबाक अंदाज़, सच्चाई से भरी अदाकारी और जटिल किरदारों में पूरी तरह ढल जाने की क्षमता कुब्रा सैत ने अपने अभिनय से हमेशा दर्शकों को प्रभावित किया है। लेकिन उनकी असल ताकत सिर्फ उनके ऑन-स्क्रीन काम में नहीं, बल्कि उस भावनात्मक ईमानदारी में छिपी है जिसके बारे में वह अक्सर खुलकर बात करती हैं। हाल ही में एक बातचीत में कुब्रा ने उस अनुभव को साझा किया जिसने उनकी एक्टिंग और जीवन दोनों की दिशा बदल दी। कुब्रा ने बताया कि अभिनय की शुरुआत में उन्हें भावनाओं तक सही तरीके से पहुँचना सबसे बड़ी चुनौती लगता था। इसी दौर में उन्हें एक गहरा सबक मिला, जिसे वह आज भी अपनी सफलता की नींव मानती हैं। उन्होंने कहा कि एक सीन के दौरान कैमरे के सामने पहली बार उन्हें रोना था और वह बहुत घबराई हुई थीं। उसी समय निर्देशक अनुराग कश्यप ने उनकी ओर देखते हुए कहा “हम यहाँ बैठेंगे, लाइनें पढ़ेंगे और बस खुद के साथ रहेंगे। हम तुम्हारे भीतर की वह खिड़की खोलेंगे, जिससे भावनाएँ अंदर आ सकें। और आज रात के खत्म होने से पहले हम उसे बंद भी कर देंगे।” कुब्रा का कहना है कि यही वह क्षण था जब उन्होंने समझा कि एक्टर होने का मतलब सिर्फ भावनाओं तक पहुँचने की क्षमता नहीं, बल्कि उन्हें सुरक्षित तरीके से संभालने की जिम्मेदारी भी है। कुब्रा कहती हैं कि हर इंसान के भीतर एक खिड़की होती है, जो हमारी भावनाओं की दुनिया का रास्ता खोलती है।
अभिनय में आप उसे खोलते हैं, भीतर उतरते हैं और फिर वापस बंद कर देते हैं ताकि संतुलन बना रहे। लेकिन असल जिंदगी में यह अक्सर इतना आसान नहीं होता। दुनिया हमें हमेशा सजग रहने का समय नहीं देती और कई बार खिड़की की बजाय बाँध टूट जाता है। हम भावनाओं में बह जाते हैं, हल्की बेचैनी को भी ‘ट्रिगर’ कह देते हैं, जबकि वह हमारे वर्तमान की साधारण चिढ़ या थकान हो सकती है। कुब्रा मानती हैं कि यह समझना जरूरी है कि क्या अतीत हमें पीछे खींच रहा है और क्या वर्तमान सिर्फ अस्थायी असंतुलन है। यही पहचान हमें ज़मीन पर टिकाए रखती है। उनके शब्दों में “अगर आप अपनी भावनाओं के पास जाने के लिए तैयार नहीं हैं, तो आप एक्टर बन ही नहीं सकते। लेकिन उससे भी अहम बात है कि आप सीखें कि उन भावनाओं से वापस कैसे लौटना है।” कुब्रा का यह अनुभव याद दिलाता है कि अभिनय सिर्फ अभिव्यक्ति का कला रूप नहीं, बल्कि भावनाओं की जिम्मेदार यात्रा है। और असल में, यह सिर्फ एक्टिंग का सबक नहीं ज़िंदगी का सबसे बड़ा सबक है।
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