छोटी फिल्मों का थियेटर में जगह बनाना मुश्किल: Huma Qureshi
मुंबई। सीमित संसाधनों में बनी छोटी फिल्मों के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है थिएटर में स्क्रीन और शो टाइम की कमी। यही वजह है कि कई बार मजबूत कहानी और उत्कृष्ट अभिनय के बावजूद, ये फिल्में दर्शकों तक नहीं पहुंच पातीं। इसी मुददे को लेकर हाल ही में अभिनेत्री और निर्माता हुमा कुरैशी ने इसी मुद्दे पर खुलकर आवाज उठाई। उनकी फिल्म सिंगल सलमा को देशभर में बेहद सीमित स्क्रीन पर रिलीज किया गया, जिससे उन्होंने सोशल मीडिया पर नाराजगी जाहिर की। हुमा ने लिखा, “‘सिंगल सलमा’ जैसी फिल्मों में न तो बड़े स्टार होते हैं और न ही करोड़ों का मार्केटिंग बजट। ऐसे में थिएटर में अपनी जगह बनाना बेहद मुश्किल हो जाता है। सिस्टम अब भी उन्हीं फिल्मों को प्राथमिकता देता है, जिनमें बड़ा नाम या बड़ा पैसा जुड़ा होता है।”
हुमा की इस पोस्ट ने दर्शकों और फिल्म इंडस्ट्री दोनों में व्यापक बहस छेड़ दी। देश के कई शहरों—जैसे दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता और पटना के फैंस ने उनकी बात का समर्थन किया और थिएटर मालिकों से फिल्म के शो बढ़ाने की मांग की। कई दर्शकों ने सोशल मीडिया पर टिकट बुकिंग ऐप्स के स्क्रीनशॉट साझा किए, जिनमें दिख रहा था कि सिंगल सलमा के शो या तो हाउसफुल हैं या फिर उपलब्ध ही नहीं। इससे साफ है कि दर्शकों की दिलचस्पी मौजूद है, लेकिन थिएटर वितरण प्रणाली की असमानता के कारण उन्हें मौका नहीं मिल पा रहा। इंडस्ट्री के अंदरूनी लोगों का भी मानना है कि अब समय आ गया है जब छोटे और बड़े प्रोडक्शन के बीच स्क्रीन वितरण को लेकर संतुलन बनाया जाए। अगर थिएटर वितरण व्यवस्था को पारदर्शी और न्यायपूर्ण बनाया जाए, तो कंटेंट-ड्रिवन फिल्मों को भी आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।
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