खाड़ी देशों में भारत का प्रभाव हो रहा कम, Saudi Arabia and Pakistan में परमाणु सुरक्षा डील
यह डील खाड़ी देशों में भारत के हितों को लेकर ज्यादा नुकसानदायक
रियाद। सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच परमाणु सुरक्षा डील पर हस्ताक्षर किया गया था। अमेरिका में इस डील को अपने सुरक्षा हित से देखा। इस डील में कहा गया है कि सऊदी अरब या पाकिस्तान पर कोई भी हमला हुआ तो दूसरे देश पर हमला माना जाएगा। अमेरिकी विश्लेषक का मानना है कि इसे कतर पर हुए इजराइल हमले से जोड़कर देखना चाहिए। वह भी तब जब कतर को अमेरिकी सुरक्षा गारंटी मिली हुई थी। सऊदी अरब और पाकिस्तान की इस सुरक्षा डील को कई विश्लेषकों ने भारत के लिए झटका बताया। यह डील अमेरिका की बजाय खाड़ी देशों में भारत के हितों को लेकर ज्यादा अहम और नुकसानदायक है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक लेख में सीनियर फेलो जीन लूप ने कहा कि सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रिश्ते में कुछ भी नया नहीं है। दोनों देशों के बीच लेबर और सुरक्षा को लेकर लंबे समय से करीबी संबंध हैं। सऊदी अरब की सेना ऐतिहासिक रूप से ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तानी सैनिकों पर भरोसा करती है। साल 1963 से पाकिस्तान की सेना सऊदी अरब में तैनात होती रही है। ये पाकिस्तानी सैनिक मक्का और मदीना समेत सऊदी अरब की जमीन की सुरक्षा करते हैं। जीन ने कहा कि पाकिस्तान के इस प्रभाव की वजह से भारत लंबे समय तक खाड़ी देशों में अपने प्रभाव को नहीं बढ़ा पाया। 6 खाड़ी देशों में 97 लाख भारतीय रहते हैं। साल 2024 में खाड़ी देशों से भारत को 47 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा मिली थी।
पीएम मोदी के आने के बाद भारत ने खाड़ी देशों में खुद को एक रणनीतिक खिलाड़ी के रूप में पेश किया। भारत ने यूएई के साथ अपनी दोस्ती को और मजबूत किया। सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी भारत के राजकीय दौरे पर आए थे। भारत व्यापार के अलावा आतंकवाद निरोधक प्रयासों और नौवहन सुरक्षा को लेकर भी बातचीत की है। खाड़ी देशों ने भारत की बजाय चीन पर दांव लगाना शुरू कर दिया। सऊदी अरब, कतर और यूएई ने चीन से मिसाइलें और किलर ड्रोन खरीदे हैं। ओमान में चीनी नौसेना की मौजूदगी शुरू हो गई जो भारत से मात्र 2084 किमी दूर है। यह भारत के लिए ज्यादा चिंता की बात है। रिपोर्ट के मुताबिक जीन कहते हैं कि खाड़ी के देश भारत को एक वैश्विक शक्ति नहीं बल्कि एशियाई ताकत के रूप में देखते हैं जहां पर निवेश की संभावनाएं हैं और क्षेत्रीय मुद्दों पर सहयोग किया जा सकता है। वहीं खाड़ी देश चीन को एक ग्लोबल पावर के रूप में देखते हैं और ड्रैगन का दोस्त पाकिस्तान है। उन्होंने कहा कि भारत की स्पष्ट पश्चिम एशिया नीति नहीं है जबकि चीन व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने पर फोकस कर रहा है और वहां के घरेलू मुद्दों में हस्तक्षेप करने से बच रहा है।
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