
Supreme Court का ऐतिहासिक फैसला: दृष्टिहीन भी बन सकेंगे जज
मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा नियमों को किया खारिज
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि दृष्टिहीन (नेत्रहीन) लोग भी न्यायिक सेवाओं में नियुक्त हो सकते हैं। अदालत ने साफ किया कि दिव्यांगता के आधार पर किसी भी व्यक्ति को न्यायिक सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा नियमों को खारिज कर दिया, जो दृष्टिहीन उम्मीदवारों को जज बनने से रोकते थे। इस फैसले के बाद अब दृष्टिहीन उम्मीदवार भी न्यायिक सेवाओं के लिए चयन प्रक्रिया में भाग ले सकेंगे। क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने? सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की डबल बेंच ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा, कि किसी भी व्यक्ति को उसकी दिव्यांगता के आधार पर न्यायिक सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता। दृष्टिहीन लोगों को भी समान अवसर मिलना चाहिए, ताकि वे अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश के न्यायिक सेवा नियमों में भेदभावपूर्ण भाषा का इस्तेमाल किया गया था, जिससे दृष्टिहीन उम्मीदवारों को बाहर रखा जाता था।
कैसे शुरू हुआ मामला? इस फैसले की शुरुआत मध्य प्रदेश की एक महिला की याचिका से हुई थी, जिसका दृष्टिहीन बेटा न्यायिक सेवा में जाना चाहता था। जब उसे चयन प्रक्रिया में भाग लेने से रोका गया, तो उसकी मां ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा। अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान लेकर मामला सुना और यह ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। यह फैसला दृष्टिहीन और अन्य दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक बड़ी जीत है। यह न्यायिक सेवाओं में समावेशन को बढ़ावा देगा। दिव्यांग व्यक्तियों को बराबरी का अवसर मिलेगा और भेदभाव खत्म होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से दृष्टिहीन उम्मीदवारों के लिए न्यायिक सेवाओं में एक नया रास्ता खुल गया है। अब वे भी जज बनने के अपने सपने को साकार कर सकते हैं।
Tags
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!