Thailand में महिला कर्मचारी की मौत, फिर शुरु हुई वर्क लाइफ बैलेंस पर बहास
बैंकाक। दुनिया भर में वर्क लाइफ बैलेंस का मुद्दा लगातार चर्चा में बना हुआ है। काम का अधिक दबाव और तनाव से जुड़ी आकस्मिक मौतों की खबरें आए दिन आती रहती हैं। इसके बाद कंपनियां अब अपने कर्मचारियों के वर्कलोड को कम करने, ऑफिस में आराम को बढ़ावा देने और छुट्टियों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही हैं। कुछ कंपनियों ने अनहैप्पी लीव (यूएल) जैसी छुट्टियां भी शुरू कर दी हैं। लेकिन, थाईलैंड में घटी एक घटना ने इस बहस को और तेज कर दिया है। दरअसल थाईलैंड के समुत प्रकान प्रांत में एक इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्टरी में काम करने वाली 30 वर्षीय महिला, मे, की मौत तब हुई जब महिला को मेडिकल लीव न मिलने के कारण ऑफिस में ही अपनी जान गंवानी पड़ी। मे की बड़ी आंत में सूजन थी, इसकारण वे 5 से 9 सितंबर तक अस्पताल में भर्ती रही। हालांकि, हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद भी उसकी तबीयत बिगड़ी रही। मे ने अपने मैनेजर से फिर से मेडिकल लीव की मांग की, लेकिन मैनेजर को शक था कि मे बहाना बना रही है। मैनेजर ने मे को ऑफिस आकर लीव सर्टिफिकेट जमा करने का आदेश दिया।
नौकरी खोने के डर से मे 13 सितंबर को ऑफिस पहुंची, लेकिन उसकी तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। 20 मिनट के अंदर बेहोश हो गई और तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी इमरजेंसी सर्जरी की गई। दुर्भाग्य से, अगले दिन नेक्रोटाइजिंग एंटरोकोलाइटिस के कारण उसकी मौत हो गई। इस घटना ने पूरी दुनिया का ध्यान फिर से वर्क लाइफ बैलेंस की ओर खींचा है। मे की मौत के बाद उसकी कंपनी, डेल्टा इलेक्ट्रॉनिक्स थाईलैंड, ने दुख जताकर कहा कि वह इस घटना की जांच करेगी और कर्मचारियों के स्वास्थ्य और छुट्टियों से संबंधित नीतियों में सुधार करने का प्रयास करेगी। यह घटना स्पष्ट करती है कि वर्क लाइफ बैलेंस केवल एक चर्चा का मुद्दा नहीं है, बल्कि इसकी अनदेखी गंभीर परिणामों का कारण बन सकती है।
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