महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल लागू करने की मांग सुप्रीम कोर्ट में खारिज
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र को महिला आरक्षण कानून (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) तत्काल लागू करने का आदेश देना मुश्किल है। कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू कराने की मांग की थी।
जया ठाकुर ने अपनी याचिका में महिला आरक्षण कानून से उस हिस्से को हटाने की मांग की, जिसमें इसे जनगणना के बाद लागू करने का बात कही गई है। कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने के लिए जनगणना की जरूरत होती है। महिला आरक्षण में इसकी क्या जरूरत है? जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस वी एन भट्टी ने इस पर कहा- जनगणना के अलावा भी कई काम है। सबसे पहले लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सीटें रिजर्व की जाएंगी। बेंच ने इस मामले में केंद्र को नोटिस भेजने से भी इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन की सराहना करते हुए कहा- महिला आरक्षण का फैसला बहुत अच्छा कदम है। अब इस मामले पर दूसरी याचिकाओं के साथ 22 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। लोकसभा-विधानसभाओं में महिलाओं को मिलेगा 33त्न रिजर्वेशन महिला आरक्षण कानून के तहत लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत रिजर्वेशन लागू किया जाएगा। लोकसभा में फिलहाल 82 महिला सांसद हैं, नारी शक्ति वंदन कानून के तहत लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी। ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा। -राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद महिला आरक्षण बिल कानून बना नई संसद में कामकाज के पहले दिन यानी 19 सितंबर को महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश किया गया था। फिर यह बिल 20 सितंबर को लोकसभा और 21 को राज्यसभा से पारित हुआ था। 29 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन गया। अब ये बिल विधानसभाओं में भेजा जाएगा। इसे लागू होने के लिए देश की 50 प्रतिशत विधानसभाओं में पास होना जरूरी है। जनगणना-परिसीमन के बाद ही लागू होगा बिल महिला आरक्षण कानून डीलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा। परिसीमन जनगणना के आधार पर होगा। 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन करीब-करीब असंभव है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव समय पर हुए तो इस बार महिला आरक्षण लागू नहीं होगा। यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है। तीन दशक से पेंडिंग था महिला आरक्षण बिल संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से पेंडिंग है। यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था। 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था। तब सपा और राजद ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग था।
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