
एशियाई या अफ्रीकी नेता संभाल सकता है Vatican की बागडोर ?
वाशिगटन। पोप फ्रांसिस की बिगड़ती सेहत के बीच नए पोप को लेकर चर्चा तेज हो गई है। इसी बीच यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इस बार कोई एशियाई या अफ्रीकी नेता वेटिकन की बागडोर संभाल सकता है? वर्तमान पोप पहले साउथ अमेरिकन पोप होने के साथ ही जेसुइट समुदाय से जुड़े पहले वेटिकन लीडर हैं। अर्जेंटीना में जन्मे पोप को काफी उदारवादी माना जाता है। उन्होंने समलैंगिक समुदाय के समर्थन में बयान दिए और चर्च में हो रहे बाल यौन शोषण के खिलाफ लगातार आवाज उठाई। पोप की मृत्यु के बाद चर्च के नियमों के अनुसार, कैमरलेंगो नामक अधिकारी सबसे पहले उनकी मृत्यु की पुष्टि करता है। इसके बाद, पोप का अपार्टमेंट सील कर दिया जाता है और कार्डिनल्स की एक बैठक बुलाई जाती है। 80 वर्ष से कम उम्र के सभी कार्डिनल्स इस बैठक में शामिल होते हैं और दो-तिहाई बहुमत से नए पोप का चुनाव किया जाता है। चुनाव के दौरान सिस्टीन चैपल से काला धुआं उठता है और जैसे ही नया पोप चुना जाता है, सफेद धुआं निकलता है। क्या इस बार कोई गैर-यूरोपीय पोप बन सकता है? इस बार 138 कार्डिनल्स चुनाव में भाग लेंगे, जिनमें से 4 भारतीय हैं। एशिया और अफ्रीका में कैथोलिक आबादी बढ़ रही है, जबकि यूरोप और अमेरिका में यह घट रही है।
हालांकि, अभी तक यूरोप से सबसे ज्यादा कार्डिनल्स होने के कारण वहां के उम्मीदवारों की संभावना अधिक रहती है। एशिया और अफ्रीका में कार्डिनल्स की संख्या अब भी यूरोप की तुलना में कम है। यह चुनाव पोप की नियुक्ति के आधार पर होता है, जिसमें मौजूदा पोप की भूमिका अहम होती है। वर्तमान पोप ने यूरोप के बाहर कार्डिनल्स की संख्या बढ़ाई, लेकिन यूरोप का दबदबा अब भी कायम है। वेटिकन और चीन के बीच राजनीतिक मतभेदों के कारण चीन के गुप्त चर्चों को ही आधिकारिक मान्यता मिलती है, जिससे एशियाई कैथोलिक समुदाय की गणना सीमित रह जाती है।पोप का प्रभाव सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि राजनीतिक भी होता है। कई वैश्विक नेता पोप से सलाह लेते हैं और वेटिकन कई अंतरराष्ट्रीय मामलों में मध्यस्थता करता है। यही कारण है कि शक्तिशाली राष्ट्र अपने क्षेत्र से पोप चुनवाने की कोशिश करते हैं।
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!