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  • Wednesday, 03 December 2025
तमाम जद्दोजहद के बाद मुख्यमंत्री Kejriwal की शुगर बढ़ने के बाद देना पड़ी इंसुलिन

तमाम जद्दोजहद के बाद मुख्यमंत्री Kejriwal की शुगर बढ़ने के बाद देना पड़ी इंसुलिन

नईदिल्ली। राजनीति का कोई मुद्दा नहीं होता है। किसी भी बहाने से सियासत शुरु हो जाती है। इसकी ताजी नजीर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की बढ़ती शुगर और इंसुलिन की मांग को लेकर हुई बयानबाजी है। अंतिम परिणाम ये हुआ कि सीएम केजरीवाल की शुगर बढ़ी और उन्हे तिहाड़ जेल में इंसुलिन देना पड़ी। इससे पहले हालात ये थे कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इंसुलिन और प्राइवेट डॉक्टर से प्रतिदिन सलाह की मांग को लेकर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। कोर्ट ने प्राइवेट डॉक्टर से दिखाने की मांग खारिज करते हुए एम्स को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया था। आम आदमी पार्टी भी केजरीवाल के लिए इंसुलिन की मांग को लेकर लगातार आक्रामक थी। पार्टी का आरोप था कि मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य को लेकर साजिश रची जा रही है और शुगर लेवल हाई होने के बावजूद इंसुलिन नहीं दी जा रही है।


तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का शुगर लेवल एक बार फिर हाई हो गया है, जिसके बाद उन्हें पहली बार इंसुलिन दी गई है। केजरीवाल का शुगर लेवल लगातार हाई हो रहा था और यह 320 तक चला गया। इसके बाद उन्हें इंसुलिन दी गई। गिरफ्तारी के बाद पहली बार उन्हें इंसुलिन दी गई है। आम आदमी पार्टी ने केजरीवाल को मिले इंसुलिन को हनुमान का आशीर्वाद बताया। पार्टी के एक्स हैंडल पर लिखा गया, बजरंग बली की जय। आखिरकार भाजपा और उसके जेल प्रशासन को सद्बुद्धि आई और उन्होंने केजरीवाल को जेल में इंसुलिन दी। केजरीवाल का शुगर लेवल 320 तक पहुंच गया था। ये भगवान हनुमान के आशीर्वाद और दिल्लीवालों के संघर्ष से ही मुमकिन हो पाया है। हम लोग अपने मुख्यमंत्री तक इंसुलिन पहुंचा पाने में कामयाब हुए हैं।


इससे पहले सोमवार को केजरीवाल ने तिहाड़ जेल के सुपरिंटेंडेंट को लेटर लिखकर कहा कि वह रोजाना इंसुलिन की मांग कर रहे हैं। केजरीवाल के इस लेटर से एक दिन पहले तिहाड़ प्रशासन ने बयान जारी कर कहा था कि उन्होंने 20 अप्रैल को केजरीवाल की एम्स के वरिष्ठ विशेषज्ञों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की व्यवस्था की थी, जिस दौरान ना तो केजरीवाल ने इंसुलिन का मुद्दा उठाया और ना ही डॉक्टरों ने ऐसी कोई सलाह दी। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि राजनीतिक दबाव में तिहाड़ जेल प्रशासन झूठ बोल रहा है। मुख्यमंत्री ने जेल अधिकारियों के इस दावे को खारिज कर दिया कि उन्होंने डॉक्टरों के साथ परामर्श में कभी इंसुलिन का मुद्दा नहीं उठाया। उन्होंने लेटर में कहा, यह झूठ है। मैंने 10 दिन तक हर दिन, कई बार इंसुलिन के मुद्दे को उठाया है। मेरे सामने जो भी चिकित्सक आए, उन्हें मैंने अपना उच्च शर्करा स्तर दिखाया।

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