कोरोना के बाद पैदा हुई जानलेवा दिमागी बीमारी से America परेशान
- प्रियन रोग से मस्तिष्क, स्तंभन दोष और बालों के झड़ने की हो रही समस्या
न्यूयॉर्क। इन दिनों अमेरिका में एक नया प्रियन रोग पैर पसार रहा है। इसका खुलासा कोरोना के बाद हुए अध्ययन में सामने आया है। जानकारों की मानें तो कोरोना वायरस महामारी के दौरान हजारों मामलों के माध्यम से यह बात सामने आई है कि लंबे समय तक कोविड-19 से पीड़ित रहने पर व्यक्ति कई अन्य बीमारियों के अलावा मस्तिष्क, स्तंभन दोष और यहां तक कि बालों के झड़ने का कारण बन सकता है। विशेषज्ञों को न्यूयॉर्क में एक ऐसा मामला मिला है जहां एक व्यक्ति की मौत संभवत: कोविड-19 संक्रमण से उत्पन्न प्रियन रोग नामक घातक मस्तिष्क रोग से हुई थी। माउंट सिनाई क्वींस के डॉक्टरों ने कहा कि इसकी अत्यधिक संभावना है कि न्यूयॉर्क शहर के एक व्यक्ति में घातक प्रियन रोग विकसित होने में कोविड का योगदान है। यह स्टडी और डायग्नोसिस अमेरिकन जर्नल ऑफ केस रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए हैं। यह मामला एक 62 वर्षीय व्यक्ति के साथ हुई घटना का विवरण साझा करता है, जिसे चलने में कठिनाई होने और तेजी से बढ़ते मनोभ्रंश के लक्षण दिखने के बाद न्यूयॉर्क के एक अस्पताल, माउंट सिनाई क्वींस हॉस्पिटल सेंटर में भर्ती कराया गया था।
इस स्टडी के निष्कर्ष में कहा गया है कि हमारा मामला न्यूरोडीजेनेरेटिव स्थितियों, विशेष रूप से प्रियन डिजीज के साथ कोविड के संभावित जुड़ाव को दिखाता है। अस्पताल में भर्ती होने से दो महीने पहले, क्वींस के रहनेवाले 62 वर्षीय शख्स के मुंह से लार टपकने लगी और वह धीमी गति से चलने लगा। उसे केवल तभी चिकित्सा सुविधा में ले जाया गया जब एक बार घर पर गिरने के बाद यह पाया गया कि वह चलने में असमर्थ है और रुक-रुक कर बातचीत कर रहा है। अस्पताल में भर्ती के उनका कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव आया, लेकिन सामान्य कोविड श्वसन लक्षणों के अलावा उनमें कोई लक्षण नहीं दिखे।
एक मीडिया रिपोर्ट में डॉक्टर के नोट्स का हवाला देते हुए कहा, कि अस्पताल में भर्ती होने के लगभग 3 सप्ताह बाद, रोगी धीरे-धीरे गूंगा हो गया और उसे नरम भोजन निगलने में कठिनाई होने लगी, जिसके लिए पीईजी परक्यूटेनियस एंडोस्कोपिक गैस्ट्रोस्टॉमी, ट्यूब लगाने की आवश्यकता पड़ी। बाद में वह पैसिव फ्लेक्सन एक्सटेंशन पर गंभीर दर्द के साथ शरीर में ऐंठन संबंधित परेशानी हो गई। नोट में बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती के छह सप्ताह बाद, मरीज को मृत घोषित कर दिया गया।
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