न हिन्दू बनो न मुसलमान बन सको तो बनो अच्छा इंसान

- विमलेंद्र सिंह भदौरिया-

देश में आज मुस्लिम समुदाय बेकाबू होकर जिस प्रकार से आंदोलन के नाम पर हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रहा है. इसके पीछे कारण “नूपुर शर्मा” का प्रॉफिट मोहब्बत के शान में कुछ अनर्गल टिप्पणी पर बताया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत हुई है और आगजनी और पत्थरबाजी जैसी हिंसक घटनाओं से देश के माहौल को अस्थिर करने के प्रयास कर रहा है. यदि मीडिया द्वारा प्रसारित बहस और विपक्षी नेताओं के बयानों पर गौर किया जाए तो वास्तविकताओं को परखने में देश की जनता को ज्यादा समय नहीं लगेगा.

उत्तर प्रदेश में दंगे समाजवादी पार्टी के नेताओं और प्रवक्ता द्वारा प्रदर्शन करने वालों के समर्थन में जिस प्रकार खड़े है और उनके पक्ष में लगातार बयानबाजी कर रहे है ये मुख्य कारण है ऐसी घटनाओं का.

आदरणीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा की जा रही बुल्डोजर की कार्यवाही को गलत बता रहे है.

यदि कोई भी करे बलवा उसका घर नेस्तनाबूद कर बना दो मलबा.

जब एक वर्ग देश तोड़ने में लगा है तो सरकार उसका घर क्यों न तोड़े जनता आज पूछ रही है. देश की जनता कब तक सहन करेगी “अब अनर्गल राजनीति” वालों पर सरकार को सतर्कता बरतने की आवश्यकता है. देश आजादी का 75वां साल मना रहा है इस अमृत महोत्सव के समय में भी आज इस प्रकार से जातिगत राजनीति को बढ़ावा दिया जाए तो तो शर्म आनी चाहिए उन नेताओं को जो बात बेरोजगारी और महंगाई की करते है. यदि उन्हें देश के युवाओं की इतनी चिंता होती तो सरकार को इन अनर्गल विवादों से नहीं अपितु वास्तविक मुद्दों पर धरने प्रदर्शन करते तो शायद जनता उन्हें ज्यादा समर्थन देती.

पश्चिम बंगाल में जिस प्रकार से हिंसा लूटपाट, और डंडे लेकर युवा सड़कों पर है और ममता सरकार केंद्र पर हमले बोल रही है ये उनकी विफलता बताता है. अब देश का युवा इस घृणित राजनीति को समझ चुके है दरअसल बात ये है कि चाहे ममताजी हो या रांची के मुख्यमंत्री सोरेन ये सिर्फ एक जाति वर्ग के पक्ष की राजनीति को अपने जीवन की सफल राजनीति मानते है इन्हें देश की सुरक्षा से कोई लेनादेना नहीं है.

यदि हम पूरी राजनीति की समीक्षा करे तो एक बात पूरी विपक्षियों पार्टियों की लगभग समान है कोई भी नेता मुस्लिम समुदाय द्वरा की गई हिंसक घटनाओं पर टिप्पणी नहीं कर रहा बल्कि केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश करता है शायद ये भूल जाते है सुरक्षा राज्य की जिम्मेदारी है केंद्र से सहयोग मांगने पर ही केंद्र अतिरिक्त सहायता मुहैया कराता है. रांची, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र में भाजपा नही हैं और सबसे ज्यादा जनता बंगाल में पीड़ित है जहां ममता बनर्जी की सरकार है.

विपक्षी पार्टी हमेशा एक बयान देती है कि भाजपा धर्म की राजनीति करती है लेकिन सत्य ये है कि इस धर्म की राजनीति में 75 प्रतिशत सहयोग विपक्षियों का है जो भाजपा को हिन्दुओं के समर्थन वाली पार्टी का सर्टिफिकेट पर मोहर लगा देती है.

विपक्षी मूल मुद्दों से भटक एक धर्म विशेष के समर्थन के पक्ष में राजनीति कर रहे है. यदि भाजपा मुद्दों की राजनीति से भाग रही है तो उसको मुद्दों पर घेरने का काम विपक्षियों का है जिसमे उनकी विफलता स्पष्ट सामने दिखाई देती है. मुस्लिम द्वारा किये जा रहे आंदोलन से एक वर्ग विशेष इतना ज्यादा परेशान है अब वो पूर्ण निर्णायक स्थिति की बात करता है. जब हमने जनता से सवाल किए तो स्थिति स्पष्ट थी जो महंगाई और बेरोजगारी से ज्यादा असहमत मुस्लिम समुदाय के इस प्रकार के आंदोलन का पूर्ण इलाज चाहती है. चैंकाने वाली बात ये है कि विपक्ष जिन योगी आदित्यनाथ जी के बुल्डोजर का विरोध कर रही है उसे मुस्लिम और हिन्दू दोनों ही सही बता रहे है और अमन शान्ति की बात करते है.

कुछ मुस्लिम युवा तो इसे मौलवियों द्वारा फैलाया जा रहा जहर है जो मजहब में जहर घोलने का काम करते है. पढ़ा लिखा मुस्लिम युवा आज मदरसों का भी विरोध करता है वो भी मुख्यधारा में आकर समाज के साथ जुड़ने की बात करता है. एक युवा तो ये कहते नहीं थका की कुछ काफिरों की वजह से पूरी कोम को अलग थलग देखा जाने लगा है जिससे उन्हें शर्म महसूस होने लगी है.

अब देश के नेताओं को समझने की आवश्यकता है कि एक धर्म विशेष की राजनीति करने से बेहतर है मूल मुद्दों की राजनीति करे विकास की राजनीति पर ध्यान केंद्रित करें अन्यथा कही ऐसा न हो कि देश की जनता इन पार्टियों का ही बहिष्कार कर दे.

खासतौर पर ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी को समझने की आवश्यकता है.

न हिन्दू बनो न मुसलमान बन सको तो बनो अच्छा इंसान.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार है और समय-समय पर विभिन्न विषयों पर लिखते है..)

You May Also Like